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नगर निगम की लापरवाही ने एक निर्जीव में डाले प्राण ! धरोहर को बचाने, अदालत जाएंगे वातावरण प्रेमी !!

नगर निगम की लापरवाही ने एक निर्जीव में डाले प्राण ! धरोहर को बचाने, अदालत जाएंगे वातावरण प्रेमी !!

मोगा 13 जुलाई, (मुनीश जिन्दल)

साथियों आपको खबर की हैडिंग पढ़कर यही लग रहा होगा कि शायद आपने गलत पढ़ लिया है या हम गलत हैडिंग लिख गए हैं। लेकिन नहीं जनाब हमारी हैडिंग भी सही है और आपने भी सही पढ़ा है। हमने यही हैडिंग लगाई है कि ‘नगर निगम की लापरवाही ने एक निर्जीव में प्राण डाले हैं’। दोस्तों अक्सर आपने और हमने किसी भी विभाग की लापरवाही के चलते नुकसान होने की खबरें तो बहुत पढ़ी, सुनी व देखी हैं। लेकिन अगर हम आपको कहें कि किसी विभाग की लापरवाही के चलते किसी निर्जीव में प्राण वापिस आ गए हैं, तो बेशक यह सुनने में आपको बहुत अजीब लगेगा, लेकिन स्थानीय कश्मीरी पार्क में कुछ ऐसा ही करिश्मा हुआ है। जहां नगर निगम की अनदेखी के चलते एक निर्जीव में प्राण वापिस आए हैं। और अब इस धरोहर को बचाने के लिए अनेक वातावरण प्रेमियों सहित वहां रोजाना सैर करने आने वाले लोगों ने ये फैंसला लिया है कि अगर जिला प्रशासन इस धरोहर को नहीं बचाएगा, तो मजबूरन वे अदालत का रुख करेंगे ताकि आने वाली पीडियां इसका लाभ ले सकें। 

दोस्तों, आज हम बात कर रहे हैं कश्मीरी पार्क में लगे एक वर्षों पुराने नीम के वृक्ष की। दरअसल 27 व 28 मई की मध्यरात्रि शहर में आया तेज तूफान व मुसलाधार बारिश आपको याद ही होगी। इस बारिश व तूफ़ान से जहां अनेकों जगहों पर ख़ासा नुकसान हुआ था, वहीं कश्मीरी पार्क में लगा यह वर्षों पुराना वृक्ष भी धराशाही हो गया था। आइए पहले आप 28 मई सुबह की उस पहली तस्वीर पर एक निगाह डाल लें, जब ये विशालकाय वृक्ष धराशाही हुआ था।

महाकाय वृक्ष की, धाराशाही हुए की 28 मई सुबह की तस्वीर।

आपने ऊपर तस्वीर में साफ़ देखा कि वृक्ष कितना विशालकाय था, और कैसे हरियाली से लबा लब था। क्योंकि कश्मीरी पार्क व वेदांत पार्क, शहर के प्राचीन पार्कों में आते हैं व बड़ी संख्या में लोग रोजाना सुबह व शाम सैर के लिए भी आते हैं। तो नगर निगम को चाहिए तो यह था कि वे किसी वृक्ष विशेषज्ञ की राय से या तो इस गिरे हुए वृक्ष को दोबारा स्थापित करवाते या इसे फौरन वहां से हटवाकर सैर के लिए बने ट्रैक को ठीक करवाते। लेकिन नगर निगम ने वही किया, जो कि अक्सर अनेक विभागों द्वारा किया जाता है। नगर निगम ने 45 दिन से अधिक का समय बीत जाने के बाद भी इस गिरे हुए महाकाय पेड़ की कोई सुद्द नहीं ली। नतीजन जैसे जैसे समय बीतता गया, वैसे वैसे इस पेड़ की हरियाली जहां सूखती गई, वहीं इस विशालकाय पेड़ की विशालकाय शाखाओं को भी लोग धीरे धीरे चुरा कर ले गए। पिछले दिनों अक्सर ही अनेक महिलाओं को गठरियां बांधकर इस विशालकाय पेड़ की टहनियों को यहां से ले जाते हुए देखा गया। क्योंकि उक्त महिलाएं अति गरीब परिवारों से संबंधित हैं, इसलिए हम आपको यहां उनकी तस्वीर या वीडियो नहीं दिख रहे हैं। लेकिन आप ऊपर की दोनों तस्वीरों में फरक साफ़ देख सकते हैं कि पहले वृक्ष कितना विशालकाय था और आज उसकी क्या स्तिथि है। आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि किस प्रकार बेरहमी से इस विशालकाय वृक्ष की सभी टहनियों को काटा गया होगा। और अब लोग धीरे धीरे इस पेड़ की मुख्य मोटी लक्क्ड़ को भी काटकर ले जाने की फ़िराक में हैं।

लेकिन दोस्तों वो कहावत है कि “जाको राखे साईयां, मार सके ना कोए’। यही कहावत सिद्द हुई कश्मीरी पार्क में भी। नगर निगम की लम्बी अनदेखी के बीच, इस धाराशाही हुए महाविशाल वृक्ष ने पुनः जड़ पकड़ ली है। इस पर फिर नई टहनियां आने लगी हैं। गिरे हुए इस पेड़ में आए इस बदलाव को देखकर अनेक वातावरण प्रेमियों सहित रोजाना सैर पर आने वाले लोग खासे खुश दिखाई दिए। सैर पर आने वाले अनेक लोगों व वातावरण प्रेमियों मनमोहन अग्रवाल, अशोक गुप्ता, सुरिंदर शर्मा, नरेश कुमार, सुभाष चन्दर, एस.के सेठी सहित अन्य अनेक लोगों ने मीडिया को बताया कि उन लोगों ने ये फैंसला लिया है कि अगर नगर निगम या जिला प्रशासन इस धरोहर को अभी भी नहीं बचाएगी, तो मजबूरन उन लोगों को अदालत का दरवाजा खट खटाना होगा। सैर के शौकीन अनेक लोगों ने प्रशासन से इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है, ताकि वर्षों पुरानी इस धरोहर को बचाया जा सके। लोगों ने नगर निगम से भी मांग की है कि वे अपनी ड्यूटी समझते हुए इस वृक्ष को समय रहते संभालें व इस वृक्ष को दोबारा इसी स्थान पर स्थापित करें ताकि जहां आने वाली पीढियां को ये महाकाय वृक्ष अपनी छाया से सुरक्षित करेगा वही उन्हें शुद्ध ऑक्सीजन प्रदान करते हुए लोगों को अनेक बीमारियों से भी दूर रखेगा। 

साथियों इंसान ने भले ही अपनी जरूरत के लिए इस महाकाय वृक्ष को काट काट कर तार तार कर दिया है, लेकिन शायद ये बेजुबान फिर भी इन्सानों के प्रति अपनी फर्ज नहीं भूला व ना ही ये वर्षों पुरानी अपनी जमीन छोड़ने को तैयार है, शायद इसी के चलते ये दोबारा हरा होना शुरू हुआ है। वैसे भी ये करिश्मा उस वक्त हुआ है, जब आए दिन विभिन्न सरकारें वातावरण को बचाने की बात कर रही हैं। रोजाना आप और हम विभिन्न मीडिया प्लैटफॉर्म पर विभिन्न सरकारों के प्रतिनिधियों द्वारा पौधरोपण कर उन पौधों को गोद लेने की खबरें देखते, सुनते व पढ़ते हैं। अभी हाल ही में 5 जुलाई को जिले के समूचे जज साहिबानों द्वारा भी स्थानीय गुरु नानक कॉलेज में पौधरोपण कर उन पौधों को गोद लेने की शपथ  भी ली गई थी। यही नहीं, जिला कानूनी सेवा अथॉरिटी की और से जुलाई महीने में 4000 पौधे लगाने का लक्ष्य भी रखा गया है।

साथियों वृक्ष ने तो दोबारा हरा होकर अपना फर्ज पुनः निभा दिया है, अब बारी इंसान की है, अब बारी नगर निगम की है, अब बारी जिला प्रशासन की है, कि वो दोबारा इस वृक्ष को उसकी जगह पर कब स्थापित करते हैं। साथियों अब देखना ये दिलचस्प रहेगा कि क्या नगर निगम अपनी ड्यूटी समझते हुए ही इस वृक्ष को दोबारा स्थापित करती है या जिले के वातावरण प्रेमियों द्वारा अदालत का दरवाजा खट खटाने का इन्तजार करेगी।

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