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डीएन मॉडल स्कूल ! नीयम खूंटे पर ! अपनों को बांटी गई रेवड़िया !!

डीएन मॉडल स्कूल ! नीयम खूंटे पर ! अपनों को बांटी गई रेवड़िया !!

मोगा 23 मार्च (मुनीश जिन्दल)

3 मार्च को डी.एन मॉडल स्कूल में मैनेजमैंट का तख्ता पलट हुआ था। जिसके बाद कब्जाधारी नई मैनेजमेंट ने स्कूल के अनेक दस्तावेज अपने हाथ में लिए थे। जिसके बाद से पुरानी मैनेजमेंट द्वारा किए अनेक जायज व नाजायज कामों से पर्दा उठने लगा है। अगर हम पुरानी मैनेजमेंट के पद्द आसीन लोगों द्वारा किए उनके कामों का मंथन करते हुए, ये कहें कि सत्ता, सत्ता का नशा और पैसा या पैसा, सत्ता का नशा और सत्ता, इनका पुराना रिश्ता है। तो यह कोई गलत नहीं होगा। फिलहाल कब्जाधारी नई मैनेजमेंट द्वारा अनेक दस्तावेजों की बारीकी से जांच की जा रही है। और जांच में अनेक ऐसे तथ्य सामने आ रहे हैं कि किस प्रकार सत्ता के नशे में पद्द आसीन लोगों द्वारा अनियमों का पालन किया गया। फ़िलहाल जो मामला सामने आया है, उसके तहत पुरानी मैनेजमेंट के उच्च पद्द पर बैठे एक व्यक्ति ने अपने निजी हितों को प्राथमिकता देते हुए, स्कूल में कार्यरत 100 से अधिक अध्यापक, जिनमें अनेक सीनियर अध्यापक भी शामिल हैं, क्लैरिकल स्टाफ सहित अन्य निम्न क्लास के कर्मचारियों के अधिकारों का हनन किया है। फिलहाल ये बात सामने आई है कि किस प्रकार एक व्यक्ति द्वारा अपनी सत्ता की पावर का इस्तेमाल करते हुए स्कूल में कार्यरत विभिन्न वर्गों के अनेक कर्मचारियों के हकों का चीर हरण करते हुए, एकमात्र अपने एक पारिवारिक सदस्य की तनख्वाह में बढ़ौतरी करवाई गई। इसी लिए दोस्तों हमने ऊपर जिक्र किया है कि सत्ता, सत्ता का नशा और पैसा या पैसा, सत्ता का नशा और सत्ता, इनका पुराना रिश्ता है। 

आपको यहां बता दें कि इस मौजूदा मैनेजमैंट से पहले वाली मैनेजमैंट, वर्ष 2021 में डीएन मॉडल स्कूल पर काबिज हुई थी। उस वक्त मैनेजमैंट के एक उच्च पद्द पर एक ऐसा व्यक्ति भी आसीन हुआ था, जिसका कि एक पारिवारिक सदस्य पहले से स्कूल मैं बतौर अध्यापिका कार्यरत्त थी। बस फिर क्या था, ‘जब लाठी अपनी, तो भैंस तो अपनी, होनी ही थी’। उक्त सदस्य ने सभी नियमों को खूंटे पर टांगते हुए, स्कूल के 150 से अधिक कर्मचारियों के हकों को अनदेखा कर, अपनी सत्ता का दुरूपयोग करते हुए, मैनेजमैंट के अन्य सदस्यों पर हावी होते हुए, अपने निजी स्वार्थो को सर्वोप्रिय रखते हुए, एकमात्र अपने पारिवारिक सदस्य की तनख्वाह बढ़ा ली। लेकिन जैसे ही अब अचानक स्कूल में नई मैनेजमेंट काबिज हुई, तो पुरानी मैनेजमैंट द्वारा किए कामों का निरीक्षण होना लाजमी ही था। इस संबंधी जब “मोगा टुडे न्यूज़” की टीम की और से डीएन मॉडल स्कूल के अनेक अध्यापकों सहित अन्य क्लास के कर्मचारियों से सम्पर्क साधा गया, तो इस बात को लेकर उनमें ख़ासा रोष पाया गया। उन्होंने कहा कि ये बात उनके ध्यान में पहले से ही है। लेकिन साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि देश में पहले से ही बेरोजगारी अपनी चरम सीमा पर है। अब तत्कालीन सत्ताधारी मैनेजमैंट के खिलाफ आवाज उठाता, तो उठाता कौन ? बस बात तो शुरू हुई, लेकिन कानाफूसी तक रहकर ही ख़तम हो गई। स्कूल के अनेक कर्मचारियों ने अपना दर्द, हमारी टीम से साझा करते हुए कहा कि उनके पास फिलहाल इस स्कूल में नौकरी करने के इलावा कोई विकल्प नहीं है। लेकिन उन्होंने, ये उम्मीद जरूर जताई, कि अब सत्ताधारी नई मैनेजमैंट इस संबंधी ठोस कदम उठाएगी।

साथियों, एकत्रित जानकारी के मुताबिक डीएन मॉडल स्कूल में विभिन्न वर्गों का 150 से अधिक कर्मचारियों का स्टाफ है, जिनमें अनेक ऐसे अध्यापक भी मौजूद हैं, जिन्हें कि नौकरी करते 30 वर्ष हो चुके हैं। उक्त संबंधित अध्यापिका से, इतने पुराने अनेक सीनियर अध्यापक कार्यरत्त होने पर, असूलन पहला हक़ तो उन्हीं का बनता था, कि उनकी तनख्वाह बढ़े, लेकिन सत्ता की ताकत के आगे, आम इन्सान की क्या औकात ! उस वक्त सत्ता के नशे में चूर, साहिब को केवल अपनी पारिवारिक सदस्य ही नजर आई। उन्हें स्कूल के  150 से अधिक कर्मचारियों का श्रम नजर नहीं आया, जो भी उन्हीं की पारिवारिक सदस्य की तरह सुबह जल्दी घर का काम काज निपटाकर, अपने परिवार व बच्चों को छोड़कर अपनी नौकरी करने स्कूल पहुंचते हैं। 

इस संबंधी जब पुरानी मैनेजमेंट के सचिव रहे अश्विनी शर्मा (मट्टू) से एक अकेली अध्यापिका की तनख्वाह बढ़ाने संबंधी सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा कि उक्त अध्यापिका HOD बनी थी। इसके इलावा उसे स्कूल में कार्यरत हुए 20 वर्ष हो गए थे। कोई भी अध्यापक उनसे सीनियर नहीं था। उनका पांचवा स्थान आता है। इस पर जब हमारी टीम ने सवाल किया कि अगर उक्त अध्यापिका का पांचवा स्थान आता है, तो चार अध्यापक तो उनसे सीनियर थे, चार को छोड़कर पांचवे की तनख्वाह क्यों बढ़ाई गई ? लेकिन फिर भी उन्होंने उक्त संबंधित अध्यापिका की बढ़ाई तनख्वाह को जायज बताते हुए कहा कि जब पहले SM शर्मा की मैनेजमेंट आई थी, तब भी उन्हें ये एक तनख्वाह बढ़ाने के लिए पत्र दिया गया था। लेकिन उस पर कोई सुनवाई नहीं हुई थी। इसके पश्चात जब अश्विनी कुमार (जालंधर) वालों की मैनेजमेंट आई, और मामला उनके ध्यान में लाया गया, तो उन्होंने यह तनख्वाह बढ़ाई थी। 

इस संबंधी जब सत्ताधारी मैनेजमेंट के सदस्य नरिन्दर सूद से बात की गई, तो उन्होंने कहा कि सीबीएसई के रूल स्पष्ट कहते हैं कि कोई भी मैनेजमेंट का सदस्य अपने पारिवारिक सदस्य को प्रमोट नहीं कर सकता है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि उक्त संबंधित महिला अध्यापिका ने प्रिंसिपल मैडम सोनिया के माध्यम से मैनेजमैंट को मिलने की इच्छा जताई है, और मैनेजमेंट उन्हें जरूर मिलेगी। नरिन्दर सूद ने व्यक्तिगत लाभ लेने के लिए एक अकेली महिला अध्यापक की तनख्वाह को बढ़ाना गैरकानूनी बताया। उन्होंने कहा कि, जो भी हो, नियमों के मुताबिक़, समूचे स्टाफ के लिए होना चाहिए। उन्होंने स्पष्ट कहा कि अगर उक्त महिला अध्यापक, स्कूल में कार्यरत रहना चाहती है, तो मैनेजमैंट को इसमें कोई आपत्ति नहीं होगी, बशर्ते उक्त अध्यापिका को अपनी पुरानी तनख्वाह पर काम करना होगा अन्यथा अपनी नौकरी से इस्तीफा देना होगा। 

फिलहाल मीडिया के रूबरू तो नई मैनेजमैंट, इस संबंधी कठोर दिखाई दे रही है। लेकिन आने वाले दिनों में इस संबंधी क्या फैंसला लिया जाएगा, जिससे कि स्कूल में कार्यरत्त बाकी का स्टाफ समानता की भावना का आभास करते हुए राहत की सांस ले सके, ये तो आने वाला समय ही तय करेगा। 

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