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शायद ! किसी बड़े हादसे के इन्तजार में है पुलिस प्रशासन !!

शायद ! किसी बड़े हादसे के इन्तजार में है पुलिस प्रशासन !!

मोगा 26 दिसंबर (मुनीश जिन्दल)

दोस्तों, पिछले समय में पंजाब के मुख्यमंत्री भगवन्त सिंह मान की ओर से एक बयान जारी हुआ था कि जिस भी जिले में भ्रष्टाचार होगा, वहां के डिप्टी कमिश्नर व जिला पुलिस प्रमुख उसके लिए जिम्मेदार होंगे। मुख्यमंत्री के इस बयान ने लोगों की खूब वाह वही लूटी। शायद पार्टी के वोट बैंक में भी कुछ इजाफा हुआ हो।

अब समूचे राज्य में भ्रष्टाचार की क्या स्थिति है ? भृष्टाचार पर कितनी नकेल डली है ? इसका अंदाजा आप अपने खुद के जिले से ही लगा सकते हैं। खैर, दोस्तों भ्रष्टाचार के किसी भी मामले में आप, किसी काम के लिए, किसी व्यक्ति को पैसे देते हैं। अब आपका काम होता है या नहीं। ज्यादा से ज्यादा आपका आर्थिक नुकसान होता है। अधिकतर मामलों में आपकी जान को उसमें कोई खतरा नहीं होता। लेकिन आज जो मुद्दा हम आपके सामने लेकर आए हैं, वह है सड़क पर दौड़ते ‘मौत के दूतों’ का। जी हां, सही पढ़ा है आपने। हमने इन्हें ‘मौत के दूत’ इसलिए कहा है, क्योंकि जब ऐसे हर तरफ से ओवरलोडेड वाहन किसी से टकराते हैं, तो इन वाहनों का तो कोई नुकसान नहीं होता। लेकिन अधिकतर मामलों में, जिसके साथ ये वाहन टकराते हैं, शायद उसका कुछ भी नहीं बचता। वैसे भी आप अपनी स्क्रीन पर साफ़ देख सकते हैं, कि किस प्रकार ऐसे ओवरलोडेड वाहन, सड़क पर चलते समय एक की जगह दो ‘लेन’ (Lane) रोकते हैं। अनेक स्थानों पर तो रोड इतना तंग होता है कि इन्हें ओवरटेक करना यानी कि ‘यमराज महाराज’ को खुद दावत देना है।

साथीयों जो तस्वीर आपने ऊपर देखी है, ये राष्ट्रीय राज मार्ग 5 (फिरोजपुर-मोगा रोड, जिला फिरोजपुर) पर दौड़ते एक ‘मौत का दूत’ की 18 दिसंबर, 2024 को ली गई थी। लेकिन ये आलम एक दिन तक सीमित नहीं है, इन ‘मौत के दूतों’ को अनेकों बार इस राष्ट्रीय राज मार्ग पर दौड़ते देखा गया है व देखा जा सकता है। 

इतिहास गवाह है ! पुलिस का रिकॉर्ड गवाह है ! सड़की हादसों में मौत के आंकड़ें गवाह हैं ! कि अनेकों लोग इन ‘मौत के दूतों’ से टकराकर अपनी कीमती जान गंवा चुके हैं। और दोस्तों हैरानी की बात यह है कि हर तरफ से ओवरलोड होने के बावजूद, पीछे कोई ‘इंडिकेशन’ ना होने के बावजूद, पिछली तरफ का कोई साइड इंडिकेटर न होने के बावजूद, अधिकतर वाहनों में तूड़ी के ऊपर जीवित इंसान बैठे होने के बावजूद, यह ‘मौत के दूत’ अनेक जिलों के पुलिस नाकों से गुजरते हुए सैकड़ो किलोमीटर का सफर तय करते हैं। लेकिन हैरानी की बात यह है कि कोई भी पुलिस अधिकारी इन्हें ‘बन्द’ (Empound) करना तो दूर की बात है, इनका चालान करने की भी जहमत तक नहीं करता है। या दुसरे शब्दों में आप ये कह सकते हैं कि मुख्यमंत्री भगवन्त सिंह मान के ब्यान के बाद भृष्टाचार कितना ख़तम हुआ है, इसका जीता जागता सबूत आपके सामने है। प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों की ये कारगुजारी देखकर ऐसा प्रतीत होता है, कि शायद ये लोग किसी बड़े हादसे के इंतजार में हैं। जिसके बाद यह लोग अपनी कुंभ करनी नींद से जागकर, इंसानी जीवन की कीमत समझते हुए, माननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन करते हुए, इन ‘मौत के दूतों’ को सड़क पर चलने से रोकेंगे।

दोस्तों, हमारी ‘मोगा टुडे न्यूज़’ की टीम की राय है कि जब भी ऐसा कोई ‘मौत का दूत’ कहीं भी पकड़ा जाता है। तो वह जिस जिस जिले के जिस जिस पुलिस नाके से होकर वहां तक पहुंचा हो, तो उन सभी जिलों के संबंधित पुलिस व  प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। अगर इतना स्टाफ होने के बावजूद भी किसी जिले का पुलिस प्रशासन, ऐसे वाहनों पर नकेल नहीं डाल सकता, तो इसका सीधे अर्थ यही है कि संबंधित अधिकारी अपने नीचे स्टाफ से काम लेने में सक्षम नहीं है। हमारी राय में, इसके लिए जिम्मेवार अधिकारियों का तबादला कर उन्हें कोई नीचले स्तर का विभाग दे दिया जाना चाहिए। 

साथियों वैसे तो आपके व हमारे, विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अनेक तरह की खबरों, वीडियो व रील का आना एक आम बात है। और हम उन खबरों को पढ़कर, उन्हें अनदेखा कर, ऐसे मुद्दों प्रति अपनी कोई जिम्मेवारी ना समझते हुए अपने ‘टच’ मोबाइल को स्क्रोल कर, कहीं और किसी अन्य प्लैटफॉर्म पर चले जाते हैं। ऐसा नहीं होता है, कि खबर में दिखाया गया मुद्दा हमसे संबंधित नहीं होता या हमें प्रभावित नहीं करता। लेकिन हमारा मानना होता है कि हमने क्या लेना है, कोई और इसके लिए आवाज उठा लेगा, आराम तो हमें भी पहुंच ही जायेगा।

लेकिन फिर भी हमारी ‘मोगा टुडे न्यूज़’ की टीम की आपसे गुजारिश है कि अगर आप हमारी इस राय से सहमत हैं, तो इस खबर को शेयर जरूर करें। ताकि हमारे और आपके ऐसा करने से जहां हम शायद सरकार को कुंभ करनी नींद से जगाने में सफल हो सकेंगे। वहीं शायद पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी इस मुद्दे के प्रति अपनी नैतिक जिम्मेवारी समझते हुए सड़कों पर दौड़ते इन ‘मौत के दूतों’ पर नकेल डालना शुरू करदें। और शायद आपके और हमारे इस सांझे प्रयास से हम आगामी भविष्य में अनेक कीमती जानें बचा सकें।

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