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DN मॉडल स्कूल ने 4 महीने से नहीं भरा कर्मचारियों का प्रोविडेंट फंड !!

DN मॉडल स्कूल ने 4 महीने से नहीं भरा कर्मचारियों का प्रोविडेंट फंड !!

मोगा 09 जुलाई, (मुनीश जिन्दल) 

3 मार्च को डी.एन मॉडल स्कूल में राजनीतिक शह पर पुलिस की मदद से सत्ता पलट हुआ था। जिसके बाद सत्ता में आई नई मैनेजमेंट की ओर एक बैंक में स्कूल का खाता खोला गया था, लेकिन चूंकि स्कूल की मैनेजमेंट की दावेदारी को लेकर पहले से अनेकों मामले, विभिन्न अदालतों सहित पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के पास विचाराधीन हैं, जिसके चलते पुरानी मैनेजमेंट की शिकायत पर मजबूरन बैंक अधिकारियों को स्कूल की नई मैनेजमेंट द्वारा खोला गया खाता बंद करना पड़ा। स्कूल का बैंक खाता भले ही फ्रीज हो गया, लेकिन फिर भी स्कूल की नई मैनेजमेंट के कुछ पद्दाधिकारी स्कूल में होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों के दौरान जहां अपने पद का बाखूबी आनंद मान रहे हैं, वहीं हाल ही में स्कूल में हुई नए स्टाफ की भर्ती के दौरान भी सत्ताधारी प्रबंधन कमेटी के कुछ पदाधिकारियों ने अपनी सरगर्म भूमिका निभाई है।

लेकिन अगर हम बात करें स्कूलों में कार्यरत्त स्टाफ के अधिकारों की, तो शायद स्कूल प्रबंधन कमेटी के सदस्यों ने इस प्रति अपनी आंखों पर पट्टी बांध रखी है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि डी.एन मॉडल स्कूल प्रबंधन कमेटी ने पिछले 4 महीनों से स्कूल में कार्यरत 130 से अधिक स्टाफ का प्रोविडेंट फंड नहीं भरा है। यहां जिक्रयोग्य है कि, एकत्रित जानकारी के मुताबिक स्कूल का एक महीने का प्रोविडेंट फंड करीब 4 लाख 30 हजार रुपए बनता है। जिसके हिसाब से स्कूल प्रबंधन कमेटी पर प्रोविडेंट फण्ड विभाग की चार महीने (फरवरी, मार्च, अप्रैल व मई) की 18 लाख से अधिक की राशि बकाया है। और अगर स्कूल प्रबंधन कमेटी 15 जुलाई तक, जून महीने का प्रोविडेंट फंड जमा करवाने में असमर्थ रहती है, तो उपरोक्त लगबघ 18 लाख की राशि बढ़कर 22 लाख रु से अधिक तक पहुंच जाएगी। 

यहां ये भी जिक्रयोग्य है की गर्मी की छुट्टियां खत्म होने पर स्कूल शुरू होने के मात्र 3 दिन बाद ही, 4 जुलाई दिन शुक्रवार को स्कूल प्रबंधन कमेटी के निर्देश पर स्कूल में पढ़ने वाले 2500 से अधिक विद्यार्थियों को चालू महीना जुलाई के साथ साथ अगस्त व सितंबर, कुल 3 महीने की फीस एडवांस में भरने के लिए फार्म तो थमा दिए गए, लेकिन स्कूल प्रबंधन कमेटी शायद यह भूल गई कि इन 2500 से अधिक विद्यार्थियों को संभालने वाले स्टाफ के प्रति भी उनकी कुछ जिम्मेवारी बनती है। जिनका कि प्रोविडेंट फण्ड स्कूल ने भरना था, और वह अभी तक नहीं भरा गया है। नियमों के मुताबिक़ कोई भी नियोक्ता (Employer) अपने कर्मचारी को तनख्वाह देते समय कुछ राशि प्रोविडेंट फण्ड के रूप में काटता है, व जितनी राशि उक्त नियोक्ता किसी भी कर्मचारी की तनख्वाह में से काटता है, उतनी ही राशि नियोक्ता को अपनी और से मिलाकर प्रोविडेंट फण्ड विभाग को जमा करवानी होती है। लेकिन स्कूल की सत्ताधारी प्रबंधन कमेटी की और से स्टाफ को फरवरी से मई महीने तक की तनख्वाह देते वक्त उनकी तनख्वाह में से प्रोविडेंट फण्ड के नाम पर उनके हिस्से की बनती राशि तो काट ली गई, लेकिन ये राशि प्रोविडेंट विभाग में जमा नहीं करवाई गई। जब स्कूल प्रबंधन कमेटी द्वारा स्टाफ की तनख्वाह में से काटी गई राशि ही उनके खातों में प्रोविडेंट विभाग में जमा नहीं करवाई गई, तो स्कूल प्रबंधन कमेटी की और से नियोक्ता के रूप में जो राशि प्रोविडेंट फंड विभाग को जमा करवानी थी, उसे जमा करवाना तो दूर की बात ही है। 

जानकारों के मुताबिक़ डी.एन मॉडल स्कूल प्रबंधन कमेटी द्वारा स्टाफ का प्रोविडेंट फंड ना भरने का सीधा नुकसान स्कूल में कार्यरत स्टाफ को है। क्योंकि अगर स्कूल के किसी कर्मचारी को अपने प्रोविडेंट फंड की आवश्यकता पड़ती है, तो उसके खाते में कम प्रोविडेंट फंड होने की सूरत में उसके कुछ सपने या काम अधूरे रह सकते हैं। जानकारों के मुताबिक़ भविष्य में स्कूल प्रबंधन कमेटी को प्रोविडेंट फण्ड देरी से जमा करवाने पर प्रोविडेंट फंड विभाग को 12% ब्याज के इलावा 12% जुरमाना भी देना होगा। स्कूल प्रबंधन कमेटी, अपनी सत्ता के नशे में, अपनी इस आपसी खींचा तानी में प्रोविडेंट फंड विभाग को तो फिजूल में ब्याज व जुरमाना राशि भरने को तैयार है, लेकिन अगर कोई जरूरतमंद परिवार, अपनी आर्थिक स्तिथि का हवाला देते हुए अपने बच्चे की फीस कम करवाने के लिए स्कूल प्रबंधन कमेटी को आवेदन देता है, तो संबंधित आर्थिक तौर पर कमजोर परिवार को फीस कम करने के नाम पर उसे दिखाया जाता है ‘ठेंगा’। उस दो टूक जवाब दिया जाता है कि वह अपने बच्चों को आर्य बॉयज या किसी अन्य स्कूलों में पढ़ा सकते हैं। जहां की फीस कम है। 

यहां यह भी जिक्रयोग्य है कि स्कूल की मौजूदा सत्ताधारी प्रबंधन कमेटी जब 3 मार्च को स्कूल पर काबिज हुई थी, उस समय एडमिशन का सीजन था। जिसके चलते स्कूल में एक मोटी राशि फीस के रूप में आनी शुरू होनी थी। स्कूल की मौजूदा प्रबंधन कमेटी राजनीतिक शह पर पुलिस की सहायता से स्कूल पर काबिज तो हो गई, लेकिन गैर कानूनी ढंग से स्कूल पर काबिज हुई इस प्रबंधन कमेटी को कहीं ना कहीं इस बात का एहसास अवश्य था कि जब तक उनका बैंक खाता नहीं खुलेगा, तब तक वे जहां स्कूल के जरूरी कामों को सुचारू रूप से नहीं चला सकेंगे, वहीं सत्ता का पूर्ण लाभ भी नहीं ले सकेंगे। सत्ता की शह पर पुलिस की सहायता से गैर कानूनी ढंग से स्कूल पर काबिज हुई मौजूदा सत्ताधारी प्रबंधन कमेटी को कहीं न कहीं इस बात का भी एहसास था कि उनके द्वारा खोला गया बैंक खाता कभी भी फ्रीज हो सकता है, स्कूल की काबिज प्रबंधन कमेटी की और से कोऑपरेटिव बैंक को गलत तथ्यों के आधार पर बहुत कम राशि से स्कूल का नया खाता खोल एक ट्रायल लिया गया था, लेकिन आखिरकार वही हुआ, जिसका कि सत्ताधारी प्रबंधन कमेटी को डर था, कोऑपरेटिव बैंक ने बैंक खाता फ्रीज कर दिया। 

कोऑपरेटिव बैंक द्वारा स्कूल पर काबिज प्रबंधन कमेटी के बैंक खाते को फ्रीज करना, इस बात की सत्यता पर मोहर लगाता है कि मौजूदा समय में स्कूल पर काबिज प्रबंधन कमेटी गैर कानूनी है, क्योंकि अगर आज की तारीख़ में स्कूल  पर काबिज प्रबंधन कमेटी जायज होती, तो बैंक उनके खाते को फ्रीज नहीं करता। क्यूंकि मौजूदा प्रतियोगिता के दौर में बैंक वाले तो नए खाते लेने के लिए सदैव प्रयासरत्त रहते हैं। लेकिन वो कहते हैं ना, कि समझदार व्यक्ति बे वजह अदालत व पुलिस के चककर लगाने से गुरेज ही करता है। और यही समझदारी कोऑपरेटिव बैंक के अधिकारीयों ने भी डी.एन मॉडल स्कूल के खाते फ्रीज करके दिखाई। 

चूंकि अब स्कूल की सत्ताधारी कमेटी का बैंक खाता फ्रीज हो चूका है, जिसके चलते स्कूल में हर समय एक बड़ी रकम कैश के रूप में रहती है। जो कि वहां काम करने वाले स्टाफ के लिए, जिन पर कि इस कैश को संभालने की जिम्मेदारी है, के लिए किसी भी समय बड़ी मुसीबत बन सकता है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों से जायज फीस एकत्रित करना स्कूल प्रशासन का हक है, लेकिन इसके साथ ही स्कूल प्रबंधन कमेटी की यह भी जिम्मेवारी है कि वो अपने स्टाफ की प्रति बनती अपनी जिम्मेवारी को निभाए। अब ये देखना दिलचस्प रहेगा, कि स्कूल की ये काबिज प्रबंधन कमेटी कब तक अपने स्टाफ का प्रोविडेंट फंड जमा करवाती है।

“मोगा टुडे न्यूज़” की टीम द्वारा जब स्कूल पर काबिज प्रबंधन कमेटी के सदस्य नरिन्दर सूद को फोन किया गया, तो उन्होंने तो फोन नहीं उठाया, लेकिन जब हमने प्रोविडेंट फंड के माहिर परवीन शर्मा से स्कूल पर काबिज प्रबंधन कमेटी द्वारा स्टाफ का प्रोविडेंट फंड ना जमा करवाने संबंधी बात की, तो उन्होंने बताया कि किस प्रकार इस बात का सीधा नुक्सान स्कूल स्टाफ को है। और क्या बताया परवीन शर्मा ने, आइए आप भी सुन लें।

PARVEEN SHARMA

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