मोगा 8 दिसंबर (मुनीश जिन्दल)
पंजाब में 21 दिसंबर को होने वाले नगर निगम व नगर कौंसिल चुनाव का अखाड़ा दिलचस्प होने वाला है। क्यूंकि इससे पूर्व हाल ही में राज्य में हुए नगर पंचायत चुनावों में मुख्य रूप से तीन राजनीतिक पार्टियों में ही मुकाबला देखने को मिला था। लेकिन अगर हम बात इन नगर निगाम व नगर कौंसिल चुनावों की करें, तो इसमें जहां एक और राजनीतिक पार्टी ने चुनाव अखाड़े में उतरने का ऐलान किया है, वहीं राज्य की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी की सरकार भी अपनी पार्टी के नए पंजाब प्रधान अमन अरोड़ा की अगुवाई में ये पहला चुनाव लड़ेगी। जिससे जहां आप के नए पंजाब प्रधान अमन अरोड़ा की प्रतिष्ठा तो दाव पर लगी ही है, वहीं सत्ता का सुख भोग रहे पार्टी औहदेदारों के लिए भी ये परीक्षा की घड़ी है। क्यूंकि ये चुनाव नतीजे साबित कर देंगे कि अपने सत्ताकाल के दौरान आम आदमी पार्टी, राज्य के लोगों को अपनी और कितना आकर्षित कर पाई है। जिसके चलते राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि इस बार के नगर निगम व नगर कौंसिल का चुनाव अखाड़ा दिलचस्प रहने वाला है।
आपको याद ही होगा कि पंजाब में हाल ही में हुए नगर पंचायत चुनावों में मुख्य तौर पर तीन राजनीतिक पार्टियों ने भाग लिया था। जिनमें आम आदमी पार्टी, कोंग्रस व भारतीय जनता पार्टी शामिल थी। लेकिन इन नगर निगम व नगर कौंसिल चुनावों में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही राजनीतिक पार्टी शिरोमणि अकाली दल बादल ने भी चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। आपको बता दे की हाल ही में पंजाब में हुए नगर पंचायत चुनाव में शिरोमणि अकाली दल बादल ने अपने आप को इन चुनावों से दूर रखा था। लेकिन अब 21 दिसंबर को होने वाले नगर निगम व नगर कौंसिल चुनाव में शिरोमणि अकाली दल बादल ने चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। जिसके बाद राजनीतिक माहिरों का मानना है कि इस बार ये नगर निगम व नगर कौंसिल चुनाव दिलचस्प होने वाले हैं।
जिक्रयोग्य है कि राज्य की सत्ताधारी आम आदमी पार्टी, अपनी पार्टी के नए पंजाब प्रधान अमन अरोड़ा की अगुवाई में पहली बार कोई चुनाव लड़ने जा रही है। जिसके चलते जहां ये चुनाव ‘आप’ के नए पंजाब प्रधान अमन अरोड़ा की अग्नि परीक्षा होगी, वहीं अपने नए पार्टी प्रधान को अपनी कारगुजारी दिखाते हुए अपने अपने क्षेत्र से अच्छी बढ़त हासिल कर अपने पार्टी प्रधान अमन अरोड़ा सहित दिल्ली बैठे आकाओं की झोली में डालना भी पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं होगा।
जहां तक सवाल कोंग्रस पार्टी का है, तो कोंग्रस पार्टी शहरी क्षेत्र में अपना अच्छा ख़ासा वजूद रखती है। शहरी लोग कोंग्रस को पसंद करते हैं। जिसका सबूत पंजाब की जनता, जून 2024 में हुए लोकसभा चुनावों में कोंग्रस पार्टी को दे चुकी है। आपको याद ही होगा कि आम आदमी पार्टी के सत्ता में होने के बावजूद भी कोंग्रस पार्टी ने पंजाब की कुल 13 लोकसभा सीटों में से 7 सीट पर अपना स्वामित्व कायम रखा था। उस वक्त सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के खाते में मात्र 3, शिरोमणि अकाली दल को 1 जबकि अन्य को भी 2 सीट मिले थे। लेकिन सत्ता में न होते हुए अपने पुराने वोट बैंक को कायम रखने व नए वोटरों को लुभाने के लिए भी कोंग्रस कार्यकर्ताओं को सड़कों पर उतरकर जोर लगाना पड़ेगा।
लेकिन जहां तक भारतीय जनता पार्टी का सवाल है, तो केंद्र में बीजेपी की सरकार है। पिछले कुछ समय में केंद्र सरकार द्वारा लिए गए कुछ फैसले कुछ लोगों के गले नहीं उतरे। जिसके चलते पिछले लम्बे समय से एक वर्ग पंजाब की सड़कों पर उतारकर प्रदर्शन कर रहा है। अब केंद्र सरकार के फैसले लोक हितैषी हैं या नहीं, ये तो गंभीर अध्यन का विषय है। लेकिन इस सबमें गांवों के लोग कहीं न कहीं भाजपा से रुष्ट हैं, लेकिन जहाँ जहां तक शहरी क्षेत्र का सवाल है, तो शहरी लोग भाजपा को पसंद करते हैं, और भाजपा के कार्यकर्ता भी पार्टी हाई कमान के दिशा निर्देशों पर पिछले लंबे समय से आम जनता को पार्टी के साथ जोड़ने के लिए जमीनी स्तर पर काम कर रहे हैं। और इस बार के चुनाव नतीजों में ये देखना दिलचस्प रहेगा कि भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्यातों की गतिविधियां या पार्टी के फसलों से प्रभावित होकर कितने लोगों भाजपा के वोट बैंक में तब्दील हुए हैं।
अब जहाँ तक सवाल है इन नगर निगम व नगर कौंसिल चुनावों के अखाड़े में चौथी राजनीतिक पार्टी शिरोमणि अकाली दल बादल के उतरने का। तो फिलहाल लम्बे समय से शिअद बादल अपने आस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। सत्ता में रहते हुए पार्टी पर अनेक लोक विरोधी कार्य करने के इल्जाम लगे हैं, और अब इस संबंध में शिरोमणि अकाली दल की सीनियर लीडरशिप द्वारा माफ़ी मांगने पर विरोधी राजनीतिक आगुओं का ये मानना है कि इस माफ़ी ने ये साबित कर दिया है कि शिरोमणि अकाली दल ने सत्ता में रहते हुए पंजाब के हित्तों की रक्षा नहीं की व पंजाब की जनता से विशवास घात किया है। जिसके चलते फिलहाल शिरोमणि अकाली दल को अपने आस्तित्व की लड़ाई लड़नी पड़ रही है। क्यूंकि इतने वर्ष पंजाब में राज करने के बावजूद भी शिअद के पास अपने पुराने वोटरों के साथ साथ नए वोटरों को पार्टी के साथ जोड़ने के लिए कोई ठोस आधार नहीं है।
खैर, अब इन नगर निगम व नगर कौंसिल चुनावों में ऊँठ किस करवट बैठेगा, वो तो 21 दिसंबर की शाम को घोषित होने वाले चुनाव नतीजों से पता चल ही जायेगा। लेकिन फिलहाल कुल मिलाकर इतना जरूर है कि इन नगर निगम व नगर कौंसिल चुनावों के अखाड़े में शिरोमणी अकाली दाल बादल के उतरने से ये चुनाव दिलचस्प जरूर हो गए हैं।