

मोगा 14 जनवरी (मुनीश जिन्दल)
दोस्तों आपने अक्सर अपने मोहल्ले में व आस पास के इलाकों में अनेक घरों के ऊपर लाल/ केसरी झंडा लगा देखा होगा। लेकिन शायद उस झंडे को लगाने वाले अधिकतर लोगों को भी इसके पीछे के रहस्य का ज्ञान नहीं होगा। चलिए आज हम आपको इस बात से भी अवगत करवाते हैं। कि आखिरकार घर के ऊपर केसरी/ लाल रंग का झंडा लगाने के पीछे की सत्य कथा क्या है। साथियों, इसके लिए हमें त्रेता युग में जाना होगा।



एक बार चंद्र देव, शनि देव का अपमान कर देते हैं। जिसके पश्चात जब चंद्र देव को शनि देव की कू दृष्टि से बचाने के लिए संसार में कहीं भी कोई आसरा नहीं दिखता, तो वे ‘संकट मोचन महाबली’ हनुमान जी की माता अंजना मां के पास जाकर उनसे अपनी सुरक्षा का वचन ले लेते हैं। हनुमान जी के लिए अपनी मां के शब्दों की बहुत अहमियत थी। जिसके उपरांत हनुमान जी, चंद्र देव को शनि लोक ले जाकर, चंद्र देव व शनि देव में संधि करवाने का प्रयास करते हैं। लेकिन क्रोधित शनिदेव, चंद्रमा पर अपनी कू दृष्टि डाल देते हैं। हनुमान जी के बार-बार समझाने पर भी जब शनि देव उनकी बात नहीं सुनते तो हनुमान जी व शनिदेव में युद्ध आरंभ हो जाता है। जिसमें अनेकों बार शनि देव अपनी कू दृष्टि हनुमान जी पर डालते हैं। जिससे हालांकि हनुमान जी तो बच जाते हैं, लेकिन शनि देव की बार बार कू दृष्टि पड़ने से वहां एक कालचक्र बन जाता है। और धीरे-धीरे उस काल चक्र में ग्रह मंडल के अनेक ग्रह समाने लगते हैं। शनिदेव खुद भी, व हनुमान जी भी उस कालचक्र के अंदर चले जाते हैं। इसके पश्चात जब समूची सृष्टि में अनियमितता शुरू हो जाती है, तो हनुमान जी अपनी बुद्धि व बल का प्रयोग कर उस कालचक्र को उल्टा घुमा देते हैं। जिसके चलते कालचक्र के अंदर समाए सभी ग्रह काल चक्र से बाहर आ जाते हैं। सृष्टि भी अपने स्थान पर वापिस आ जाती है। लेकिन हनुमान जी का ये कृत्य कालदेव (मौत के देवता) को नहीं भाता। व कालदेव इसे अपना अपमान मानते हैं। जिसके लिए वे हनुमान जी को दोषी मानते हुए उन्हें दंड देने की ठानते हैं। क्रोधित कालदेव को जब अपने लेखाकार चित्रगुप्त से पता चलता है कि हनुमान जी के परिवार में अभी किसी सदस्य की मौत नजदीक नहीं है। तो गुस्साए कालदेव अपनी शक्ति का प्रयोग कर हनुमान जी के पिता महाराज केसरी को अपना ग्रास बना लेते हैं। उन्हें अकाल मृत्यु दे देते हैं।



जिसके पश्चात जब हनुमान जी को ज्ञात होता है कि उनके पिता की मृत्यु, एक साधारण मृत्यु न होकर, एक अकाल मृत्यु है। तो हनुमान जी को गुस्सा आ जाता है। वे कालदेव से अपने पिता के प्राण वापस लाने की ठान लेते हैं और वे काल लोक जाते हैं। हनुमान जी के बार-बार आग्रह करने पर भी जब कालदेव, हनुमान जी के पिता महाराज केसरी को जीवित नहीं करते तो हनुमान व कालदेव में युद्ध आरंभ हो जाता है। जिस दौरान रुद्रांश, हनुमान जी, क्रोधित हो अपने रौद्र रूप में आकर कालदेव को ही अपना ग्रास बना लेते हैं। सभी देवता आकर हनुमान जी को कालदेव को मुक्त करने का आग्रह करते हैं। लेकिन गुस्से में आए हनुमान जी किसी की बात नहीं सुनते। तब भगवान शिव प्रकट होकर हनुमान जी को कालदेव को ग्रास ना बनाने को कहते हैं। जिसके बाद हनुमान जी कालदेव को मुक्त कर देते हैं। चूंकि इस युद्ध में कालदेव ने हनुमान जी पर उनके बाल रूप में, अति बल का प्रयोग किया था, तो कालदेव से नाराज, क्रोधित भगवान शिव, कालदेव को कहते हैं कि आपने इस गद्दी की गरिमा को दूषित किया है। आपको इस पर विराजमान होने का कोई हक नहीं है और काल लोक पर फहरा रहे लाल/ केसरी झंडे को उतार कर कहते हैं कि अब यह ध्वज यहां नहीं फहराएगा और ध्वज, हनुमान जी को दे देते हैं। लेकिन हनुमान जी शांत होने के बाद कालदेव को पुनः उनके सिंघासन पर बैठा, काल लोक के ऊपर लगे लाल/ केसरी झंडे को दोबारा वहां स्थापित कर देते हैं। जिसके पश्चात कालदेव, हनुमान जी को वचन देते हैं कि जो भी व्यक्ति अपने घर पर लाल/ केसरी झंडा लगाएगा, उस घर में कभी भी अकाल मृत्यु नहीं होगी। तो दोस्तों यह थी त्रेता युग की वो पौराणिक कथा, जिसका वर्णन हमारे पुराने अनेक धार्मिक ग्रंथों में है।



साथियों, क्योंकि यह कहानी हजारों साल पुरानी है। इसलिए शायद आपके मन में यह ख्याल आ रहा होगा कि त्रेता युग की इस कहानी का कलयुग में क्या प्रभाव है ? तो मित्रों, चूंकि, हनुमान जी, विश्व के आठ चिरंजीवियों में से एक हैं। सो हनुमान जी आज, इस कलयुग में भी हमारे बीच विराजमान हैं। इसलिए उन्हें मिले वरदान जिस प्रकार त्रेता युग में प्रभावशाली थे। वे आज भी, हनुमान जी की भांति ही, इस कलयुग में भी चिरंजीवी हैं।इसलिए आज भी जब आप किसी पंडित/ ज्योतिष आचार्य के पास जाते हैं, तो वह आपको अपने निवास स्थान के ऊपर केसरी/ लाल झंडा लगाने को कहता है। ताकि आपके घर से अकाल मृत्यु का योग खत्म हो जाए।


साथियों अनेक हनुमान भक्तों की अपने घर के ऊपर लाल/ केसरी झंडा लगाने के पीछे यह भी धारणा है कि, हे बाबा, जिस प्रकार हमने आपके झंडे को ऊंचा स्थापित किया है, उसी प्रकार आप हमारे जीवन में हमारी बढ़त बनाए रखना। खैर मित्रों बात अकाल मृत्यु को टालने की हो या आपकी बढ़त की, दोनों ही परस्थितियां, आपके अनुकूल ही हैं। हम भी ‘मोगा टुडे न्यूज़’ चैनल की ओर से ‘संकट मोचन महाबली हनुमान जी’ से यही प्रार्थना करेंगे कि आपका जो भी भगत अपनी जिस भी मनोकामना को लेकर अपने घर के ऊपर सच्ची श्रधा से लाल/ केसरी झंडा लगाए, आप उस पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें व उसकी मनोकामना को पूर्ण करें।