
मोगा 16 अक्टूबर, (मुनीश जिन्दल)
16 अक्टूबर 1940 को पंजाब के अमृतसर की नमक मंडी में एक धार्मिक पंजाबी हिंदू परिवार में जन्मे भजन सम्राट नरिंदर चंचल जी को पंचतत्व में विलीन हुए भले ही 4 वर्ष 7 महीने का समय बीत चुका है, लेकिन फिर भी अगर उनके चाहने वालों की मानें, तो उनके लिए नरिंदर चंचल जी आज भी जीवित हैं। और उनके मुताबिक़ समय समय पर नरिंदर चंचल जी के भजन व उनकी भेंटें, उनकी गायकी से उनके बेरंग जीवन में खुशहाली व हरियाली के रंग भरते रहते हैं। “मोगा टुडे न्यूज़” की टीम द्वारा इस संबंधी जब नरिंदर चंचल के कुछ चाहने वालों व नजदीक के लोगों से बात की गई, तो उन्होंने नरिंदर चंचल के जन्मदिवस पर अपने अपने तरीके से उन्हें नम आंखों से याद किया व बधाई दी। इसके साथ चंचल जी के चाहने वालों ने कहा कि भले ही आज नरिंदर जी शारीरिक रूप से इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन वे अपनी गायकी से हमेशा लोगों के दिलों पर राज करते रहेंगे।

जालंधर से भजन गायक आकाश वर्मा ने खुद को नरिंदर चंचल जी का एक शिष्य बताते हुए कहा कि नरेंद्र चंचल जी अपने आप में एक भजन का सागर हैं, जिसके चलते उनके बारे में कुछ भी कहना सूरज को दीया दिखाने के बराबर है। आकाश ने कहा कि वे सदैव नरिंदर चंचल जी को पापा जी कह कर सम्बोधित करते हैं, व उन्होंने उनसे बहुत कुछ सीखा है। आकाश ने बताया कि वे बचपन से ही नरिंदर चंचल जी के भजन सुनते व उन्हें गुण गुनाते थे और उनकी प्रेरणा से ही उन्होंने गाना शुरू किया था। आकाश ने कहा कि ये नरिंदर चंचल जी का आशीर्वाद ही है, कि आज वे अपना घर, उनकी भेंटों का गायन कर चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि ‘दिल वाली पालकी च तेनु माई बिठाना है’, ‘वाजा मारिया बुलाया काई वारी’ आदि उनकी प्रसिद्ध भेंट आज भी अनेक लोगों की जुबान पर हैं। उनकी भेंट सुनकर कईयों की जिंदगी बदल गई है। आकाश ने कहा कि नरेंद्र चंचल जी ऐसी शख्सियत हैं, जिनके कि दादा से लेकर पौता, सभी उनके दीवाने हैं। उनकी गायकी का लोहा बॉलीवुड वालों ने भी माना। राज कपूर ने उनको सबसे पहला ब्रेक ‘चलो बुलावा आया है’ से दिया, जिससे उनको काफी पहचान मिली। आकाश ने कहा कि आज उनके जन्मदिन के मौके पर उन्हें याद करते हुए उनके बताए मार्ग पर चलने की प्रतिज्ञा लेता हूं।

मोगा से नरिंदर चंचल जी की गायकी की दीवानी आंचल टांगरी ने नरिंदर चंचल जी के जन्मदिन मौके उन्हें याद करते हुए कहा कि नरिंदर जी किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। उन्होंने अपनी गायकी के लोहे से अपना सिक्का भारत सहित समूचे विश्व में जमाया है, जिसके चलते ही उन्हें भजन सम्राट कहा जाता है। आंचल ने कहा कि नरिंदर चंचल जी का जन्म एक धार्मिक पंजाबी हिंदू परिवार में हुआ था, उनका पालन पोषण एक धार्मिक माहौल में हुआ था, जिसने उन्हें भजन और आरती गाने के लिए प्रेरित किया। शायद इसी प्रेरणा व धार्मिक प्रवृत्ति के चलते वे भजन सम्राट की उपाधि ले पाए। आंचल ने कहा कि नरिंदर चंचल जी एक समाज सेवी भी थे। किसी का दुख दर्द उनसे देखा नहीं जाता था, जिसके चलते ही उन्होंने थैलेसीमिया के बच्चों के लिए बहुत कुछ किया। आंचल ने कहा कि भले ही आज नरिंदर चंचल जी शारीरिक रूप से हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन हमारे दिलो दिमाग में, वे हमेशा राज करते रहेंगे।


नरिंदर जी के कुछ चाहने वालों की उनके साथ फाइल तस्वीर।

हिमाचल से आचार्य प्रफुल्ल ने कहा कि आज भले ही पापा जी, नरेंद्र चंचल जी शारीरिक रूप से हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनके द्वारा गाए भजनों के माध्यम से, उनकी भेंटों में उन्होंने जो भाव प्रकट किए, उनके माध्यम से वे सदैव हमारा मार्गदर्शन करते हैं। उनके भजन व उनके द्वारा प्रस्तुत भेंटें सदैव हमारा मार्गदर्शन करती हैं, और सदैव हमें भगवती की ओर प्रेरित करते हैं। प्रफुल्ल ने कहा कि नरिंदर चंचल जी सदैव हमारी यादों में जीवित हैं। उनका स्नेह, प्रेम, आशीर्वाद सदैव हम सबको मिलता रहे। उन्होंने चंचल जी के सभी दीवानों को नरिंदर जी के जन्मदिन की बहुत बहुत शुभकामनाएं दी।

मोगा की समाज सेविका सोनिका बेदी ने बताया कि वे नरिंदर चंचल जी के सम्पर्क में वर्ष 2011 में लुधियाना में हुए एक विशाल जागरण के दौरान आई थी। उस वक्त चलते जागरण में नरिंदर चंचल जी ने उन्हें अपनी बेटी मान लिया था, व वे कहते थे कि शायद पिछले जन्म में वे अपना पिता होने का फर्ज नहीं निभा पाए, इसलिए वे उस फर्ज को इस जन्म में निभाएंगे। सोनिका ने कहा कि जैसे माता पिता विभिन्न त्योहारों व अन्य मौकों पर अपने बच्चों को उपहार देते हैं, ठीक उसी प्रकार नरिंदर चंचल जी भी उन्हें उपहार देते थे। सोनिका ने बताया कि नरेंद्र चंचल जी की ओर से वर्ष 2009 में ‘मिडनाइट सिंगर’ के नाम से आत्मकथा प्रकाशित की गई थी, इस पुस्तक में उन्होंने अपने जीवन के संघर्षों और उपलब्धियां संबंधी विस्तार पूर्वक उल्लेख किया है। यह पुस्तक उनके भजनों और हिंदी फिल्मों में उनके द्वारा गाए गीतों से लेकर उनकी सफलता की कहानी को बयां करती है। सोनिका ने कहा कि चंचल जी के कुछ लोकप्रिय हिंदू भक्ति गीत, ‘चलो बुलावा आया है’, ‘तूने मुझे बुलाया शेरावालिए’, ‘अंबे तू है जगदंबे काली’, ‘हनुमान चालीसा’, ‘संकट मोचन नाम तिहारो’, ‘राम से बड़ा राम का नाम’, आदि आज भी उनके गायन के इतने वर्षों बाद उनके चाहने वालों के दिलो दिमाग व होंठों पर एक विशेष जगह बनाए हुए हैं, जिसके लिए वे बधाई के पात्र हैं। सोनिका ने नरिंदर चंचल जी सभी चाहने वालों को इस मौके पर अपनी शुभकामनाएं दी।

