


महिला रोग विशेषज्ञ
‘मां बनने की योजना बना रहे नव दंपत्ति की एक नई जिंदगी की शुरुआत गर्भ धारण करने के समय से शुरू हो जाती है। गर्भावस्था के पहले दो सप्ताह को लेकर लोगों में अक्सर जानकारी कम और भ्रम ज्यादा देखा जाता है। जिसके लिए नई गर्भ धारण करने वाली महिलाओं में इस विषय में जागरूकता होना जरूरी है’। उक्त जानकारी शाम नर्सिंग होम की डायरेक्टर, अंश आई.वी.एफ. की स्पेशलिस्ट व महिला रोग विशेषज्ञ डा. मोनिका गर्ग ने दी। डा. मोनिका गर्ग ने कहा कि अधिकतर गर्भ धारण करने वाली महिलाएं यह नहीं जानती कि गर्भावस्था की गणना वास्तव में उनकी अंतिम मासिक धर्म के पहले दिन से शुरू होती है, न कि गर्भ धारण से। उन्होंने कहा कि गर्भ अवस्था के पहले दो सप्ताह में भले ही गर्भ स्थापित न हो, लेकिन यह दोनों सप्ताह गर्भ धारण करने की तैयारी के लिहाज से महत्वपूर्ण होते हैं। इस अवधि के दौरान महिला के शरीर में अंडाणु तैयार हो रहा होता है और गर्भाशय की दीवारें एक संभावित भ्रूण को ग्रहण करने की स्थिति में आ रही होती है। उन्होंने कहा कि यह समय शारीरिक और मानसिक रूप से खुद को गर्भ अवस्था के लिए तैयार करने का होता है। यदि आप गर्भ धारण की योजना बना रही है तो पहले सप्ताह से ही जीवनशैली में बदलाव जरूरी है। उन्होंने कहा कि गर्भ धारण करने वाली महिलाएं शराब, ध्रूमपान से परहेज करते हुए संतुलित और पौष्टिक आहार नियमित रूप से लेते हुए व्यायाम व पर्याप्त नींद लेनी चाहिए। इसके साथ ही आवश्यक सप्लीमेंट्स का सेवन करते हुए भ्रूण की गंभीर समस्याओं से बच सकती है।
डा. मोनिका ने कहा कि महिलाओं को अपने मासिक चक्र की नियमितता पर ध्यान देना चाहिए, जो गर्भ धारण करने की स्टीक तारीख जानने में मदद करता है। उन्होंने कहा कि गर्भ धारण करने वाली महिलाएं महत्वपूर्ण व अन्य पहलुओं के लिए अस्पताल में आकर मार्गदर्शन ले सकती हैं। इससे गर्भ धारण की संभावनाएं बढ़ जाती है तथा जटिल समस्याओं से भी बचाव होता है। उन्होंने कहा कि गर्भ अवस्था का सही मार्गदर्शन पहले दिन से ही शुरू होना चाहिए। कई बार महिलाएं तब तक डाक्टर से संपर्क नहीं करती, जब तक उन्हें यह महसूस न हो कि वह गर्भवती है। कई बार ऐसी महिलाओं को जटिल समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उन्होंने कहा कि गर्भ धारण करने से ही महिलाओं की मातृत्व यात्रा की शुरूआत हो जाती है। जिसके लिए प्रत्येक महिला को व्यक्तिगत तौर पर अपना ध्यान, पोषण, परामर्श, मानसिक स्वस्थ तथा प्रजनन स्वस्थ से जुड़ी जानकारी अपने डाक्टर से लेनी चाहिए। यदि कोई भी महिला गर्भ की नींव रखने के चलते मां बनने की योजना बना रही है तो उन्हें आकर डाक्टर से परामर्श लेना चाहिए, इसमें देरी नहीं करनी चाहिए।