
मोगा 01 सितंबर, (मुनीश जिन्दल)
पिछले कुछ दिनों से लगातार पड़ रही बरसात व नगर निगम की बड़ी अनदेखी के चलते रेलवे रोड पर स्थित पुरानी दाना मंडी गेट नंबर 2 की छत गिर गई। जानकारों के मुताबिक हादसा सोमवार सुबह 4:00 बजे के करीब हुआ। क्योंकि उस वक्त ट्रैफिक नहीं था, इसलिए किसी भी प्रकार का जानी नुक्सान तो नहीं हुआ, लेकिन इतना जरूर है कि इस छत के नीचे कुछ लोग अपना अड्डा लगाकर कारोबार करते थे, जिनका कि अड्डा व कुछ सामान वहीं पड़ा था। छत्त गिरने से उनका नुक्सान जरूर हुआ है। इस छत्त के गिरने से मानो जैसे उनके सर से ही छत्त ही चली गई है।

इस संबंधी जब नगर निगम अधिकारियों से संपर्क किया गया तो उन्होंने पिछले कुछ दिनों से हो रही बरसात को इसका कारण बताकर अपना पल्ला झाड़ लिया। लेकिन अगर हम बारीकी से इस छत्त के गिरने के कारणों का अध्ययन करने के बाद ये कहें कि इसमें नगर निगम की भी बड़ी लापरवाही है, तो यह गलत नहीं होगा। क्योंकि जानकारों के मुताबिक यह गेट 100 वर्ष से अधिक पुराना है। अब आप ही खुद ही अंदाजा लगा लें कि इस 100 वर्ष से भी अधिक के अंतराल में कितनी बार इस गेट पर पहले नगर कौंसिल की और से व बाद में नगर निगम की और से, रंग रोगन किया गया होगा। नगर कौंसिल व नगर निगम की ओर से अनेकों बार मोगा शहर की सुंदरता का हवाला देते हुए इस गेट पर रंग रोगन तो करवाया गया, लेकिन शहर की इस अति पुरानी धरोहर की मजबूती की ओर किसी भी अधिकारी ने कोई ध्यान नहीं दिया। अब सोमवार को गेट की छत गिरने के बाद नगर निगम की ओर से जेसीबी मशीन लगवा कर इसका मलबा हटवा दिया गया ताकि ट्रैफिक में कोई विघ्न न पड़े।
भले ही नगर निगम अधिकारी इस गेट की छत्त गिरने के पीछे, पिछले कुछ दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश को कारण बता रहे हैं, और आने वाले दिनों में लाखों रूपए खर्च कर इसकी छत्त दोबारा बना दी जाएगी और शायद इस गेट की छत्त बनने के बाद, इस गेट की फाइल अन्य फाइलों के ढेर के नीचे दब जाएगी, लेकिन इस सबके बीच, ये पहेली जरूर अनसुलझी रह जाएगी, कि आख़िरकार मोगा शहर की इस 100 वर्ष से भी अधिक पुरानी धरोहर को समाप्ति के कगार तक पहुंचाने के लिए जिम्मेवार कौन था ??