


मोगा 29 दिसंबर (विकास बांसल)
“हमारे देश में धर्म, भगवान से मिलने का माध्यम रहा है। परन्तु दुर्भाग्य से आज ईसाई संस्थाएं लोगो को डरा धमका कर लालच देकर धोखे से धर्म परिवर्तन करा रही हैं। जो की कानून की दृष्टि से अपराध है”। इन शब्दों का प्रगटावा प्रोफेसर सरचांद सिंह ख्याला ने धर्म की व्याख्या करते हुए किया. प्रोफेसर ख्याला रविवार को धर्म जागरण मंच मोगा की ओर से वीर बाल दिवस के अवसर पर करवाए गए धर्म रक्षा सम्मेलन में बतौर समागम के मुख्य वक्ता पहुंचे थे। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले को बताते हुए कहा कि धर्म परिवर्तन विश्वास का विषय है। गुप्त लक्ष्य के लिए, जैसे नौकरी या विवाह आदि के लिए धर्म परिवर्तन संविधान के खिलाफ है। संविधान किसी व्यक्ति को दुसरे व्यक्ति का धर्म परिवर्तन कराने का अधिकार नहीं देता। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि इसी प्रकार धर्म परिवर्तन होता रहा, तो भारत का बहुसंख्यक समाज एक दिन अल्पसंख्यक हो जाएगा।



प्रोफेसर ख्याला ने पंजाब में धर्म परिवर्तन पर गंभीर चिंता प्रकट करते हुए कहा की 2011 में जहां पंजाब में सिर्फ साढ़े तीन लाख ईसाई थे। वहीं आज इनकी संख्या लगभग 50 लाख बताई जा रही है। पंजाब के सरहदी इलाको में धर्मांतरण की गति बहुत तेज है। इसकी गम्भीरता को लोग अब समझने लगे हैं। इसलिए अब इनका विरोध भी शुरू हो गया है। गांव गांव में इसके खिलाफ समाज खड़ा हो रहा है। उन्होंने पंजाब की गुरु परंपरा में धर्म रक्षा के लिए दिए गए बलिदानओं की चर्चा करते हुए आह्वान किया कि हम सब गुरुओं के दिखाए रास्ते पर चलकर समाज को धर्म की रक्षा के लिए जागरूक करें। उन्होंने पंजाब सरकार से धर्मांतरण को रोकने के लिए कानून बनाने की अपील भी की।
इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता स्वामी जुगराज सिंह जी ने की। उन्होंने उपस्थिति को प्रेम के आधार पर जीवन जीने का संदेश दिया। उन्होंने गुरबाणी का जिक्र करते हुए कहा “जिन प्रेम कियो, तिन ही प्रभु पायो”। प्रभु को प्रेम से प्राप्त किया जा सकता है।

शहीदी पार्क में धर्म जागरण मंच के समागम में उपस्थिति। (छाया: डैस्क)



धर्म जागरण पंजाब प्रांत के प्रमुख राम गोपाल ने धर्म रक्षा सम्मेलन की भूमिका रखते हुए बताया कि धर्म रक्षा व्यक्तिगत विषय है। इसलिए हमें तीन स्थानों पर विचार करना पड़ेगा। सबसे पहले अपने परिवार को धर्म से जोड़ना। यानी साहित्य से जोड़ना पड़ेगा, प्रतिदिन घर में धार्मिक साहित्य का अध्ययन किया जाए। दूसरा, अपने गली मोहल्ले के लोगों को मोहल्ले के धार्मिक स्थान पर सप्ताह में एक दिन एकत्रित किया जाए और वहां उन्हें धार्मिक शिक्षा दी जाए तथा गली मोहल्ले के लोगों की समस्याओं के समाधान का भी प्रयास किया जाए। उस मोहल्ले के लोगों को लगे कि मंदिर जाने से हमारी समस्याओं का समाधान हो रहा है।तीसरा अपने कार्य स्थल पर भी हमें अपने कर्मचारियों, सहयोगियों का ध्यान रखना होगा। अपने कार्यस्थल का वातावरण धार्मिक हो, इसके लिए वहां पर साप्ताहिक धार्मिक आयोजन करना चाहिए। समय समय पर उनकी समस्याओं के समाधान के लिए भी प्रयास करना चाहिए।




इस प्रकार हर व्यक्ति अपना परिवार, अपना मोहल्ला तथा अपने कर्मचारियों की चिंता व संभाल करेगा, तो उससे उसके धर्म की रक्षा भी होगी और वह अपना धर्म पालन भी कर सकेगा। हमारे यहां कहा गया है ‘धर्मो रक्षित रक्षित’, आप धर्म की रक्षा कीजिए, धर्म आपकी रक्षा करेेगा। हमारे पुरखों के बलिदान के कारण हम आज हैं। उन्ही से प्रेरणा लेकर हम धर्म पालन और धर्म रक्षा में डट जाएं।
स्थानीय शहीदी पार्क में हुए इस समागम में मोगा नगर के अनेक प्रतिष्ठित सज्जन, माताएं, बहनें उपस्थित हुई। और सब ने इकट्ठा जमीन पर बैठकर लंगर प्रसाद ग्रहण किया तथा धर्म रक्षा का संकल्प लिया।