

मोगा 2 अप्रैल (मुनीश जिन्दल)
सरकारी अस्पताल अक्सर अपने कुप्रबंधों को लेकर चर्चा में रहता है। लेकिन इस बार जो मामला सामने आया है, उसके तहत सरकारी अस्पताल प्रशासन की और से सरकारी अध्यापक की भर्ती के लिए अपना मैडिकल टैस्ट करवाने आए अनेक उम्मीदवारों की डोप टैस्ट के नाम पर 1500 रूपए प्रति उम्मीदवार के हिसाब से नाजायज रसीद काटी गई है। लेकिन जैसे ही ये मामला “मोगा टुडे न्यूज़” की टीम के ध्यान में आया, तो “मोगा टुडे न्यूज़” की टीम द्वारा इसमें हस्तक्षेप करते हुए प्रमुखता से इस मामले को सिविल सर्जन के समक्ष उठाया गया, तो उन्होंने फ़ौरन, हस्पताल की और से डोप टैस्ट के नाम पर वसूले गए रु रिफंड करने का फरमान जारी कर दिया।
आपको विस्तार पूर्वक समझाते हैं कि आखिरकार मामला है क्या ? आपको बता दें कि गत दिवस 1 अप्रैल, दिन मंगलवार को राज्य सरकार की और से 5994 ETT (Elementary Teacher Training) नवनियुक्त अध्यापकों को उनके जॉइनिंग पत्र दिए गए थे। जिसके चलते राज्य सरकार की और से चंडीगढ़ के सेक्टर 18 के टैगोर थिएटर में एक समागम का आयोजन किया गया था। जिसमें राज्य के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने ये नियुक्ति पत्र, नवनियुक्त ETT अध्यापकों को सौंपे थे। इस समागम में उनके साथ शिक्षा मंत्री हरजोत बैंस के इलावा अन्य अनेक प्रशासनिक अधिकारी व पार्टी कार्यकर्ता भी मौजूद थे। जिसके चलते नौकरी ज्वाइन करने से पहले उम्मीदवार को अपनी मैडिकल टेस्ट रिपोर्ट देनी जरूरी होती है। जिसके चलते बुधवार सुबह से ही स्थानीय सरकारी अस्पताल में नवनियुक्त अध्यापकों का जमावड़ा लगना शुरू हो गया था।
जैसे ही उम्मीदवारों ने सरकारी अस्पताल में जाकर मैडिकल टैस्ट कराने की बात कही, तो हस्पताल प्रशासन की और से वहां पहुंचे उम्मीदवारों से डोप टैस्ट सहित अन्य टैस्ट करवाने के नाम पर 1800 रुपये से अधिक की राशि वसूल कर की गई। जिसके एवज में हालांकि उम्मीदवारों को इसकी रसीदें भी दी गई। सरकारी हस्पताल प्रशासन द्वारा वसूले गए इस 1800 रुपये में 1500 रु डोप टैस्ट के नाम पर वसूले गए थे। आपकी जानकारी के लिए, उसकी रसीदें इस प्रकार हैं।


बस फिर क्या था, उम्मीदवार विभिन्न टैस्ट के लिए अपनी अपनी बारी का इंतजार करने लगे। जैसे जैसे दिन चढ़ता गया, वैसे वैसे नवनियुक्त अध्यापकों का जमावड़ा भी बढ़ने लगा। इसी बीच जैसे ही इस बात की भनक हमारी “मोगा टुडे न्यूज़” की टीम को लगी, कि सरकारी अस्पताल प्रशासन की ओर से नवनियुक्त अध्यापकों के मैडिकल टेस्ट में उनका डोप टैस्ट भी करवाया जा रहा है, तो हमारी टीम ने वहां पहुंचे कुछ उम्मीदवारों से इस संबंधी बात की।
जिसके बाद “मोगा टुडे न्यूज़” की टीम ने अपनी ड्यूटी समझते हुए, ये मामला सिविल सर्जन डॉक्टर प्रदीप महिंद्रा के समक्ष उठाया। जिस पर सिविल सर्जन ने फ़ौरन कार्यवाई करते हुए, “मोगा टुडे न्यूज़ मीडिया” इस संबंधी जानकारी साझा की।
CS DR. PARDEEP MAHINDRA
इसके बाद हमारी टीम ने सीनियर मैडिकल अधिकारी डा. गगनदीप सिद्धू से भी बात की।
DR. GAGANDEEP SIDHU
दोस्तों भले ही सिविल अस्पताल प्रशासन द्वारा डोप टैस्ट के नाम पर काटी गई नाजायज रसीदों को मीडिया के हस्तक्षेप के बाद रिफंड कर दिया गया है। लेकिन अगर यह मामला मीडिया के ध्यान में ना आता, और अगर हमारी “मोगा टुडे न्यूज़” की टीम इसे प्रमुखता से ना उठाती, तो शायद नव नियुक्त ETT अध्यापकों का ये आर्थिक शोषण नहीं रुकना था। भले ही इस मामले में हस्पताल प्रशासन प्रत्येक कैंडिडेट से डोप टैस्ट के नाम पर वसूले गए ₹ 1500 सरकारी खजाने में जमा होने की बात कह कर, खुद को पाक साफ़ बताते हुए, अपना पल्ला झाड़ रहा है। लेकिन हमारा सवाल फिर वही है, कि अगर एक अध्यापक की नौकरी के लिए सरकारी हिदायतों में डोप टैस्ट जरूरी ही नहीं है, तो उनकी डोप टैस्ट की रसीदें काटी ही क्यों गई।